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मिर्ज़ा ग़ालिब:-- 😂😂
"हमें तो अपनों ने लूटा , गैरो में कहाँ दम था,,
अपनी कश्ती वहां डूबी , जहां पानी कम था "
ग़ालिब की पत्नी: --- 😂😂
" तुम तो थे ही गधे , तुम्हारे भेजे में कहाँ दम था,,
वहां कश्ती लेकर गए ही क्यों , जहाँ पानी कम था " !!
😝😝😜😜😜😛😛😂😂
वाह वाह!!
रिस्ते निभाने के भी क्या अंदाज़ है लोगो के!
कोई मोम की तरह पिंघल कर निभाता है तो कोई आग की तरह!
याद करते है तुम्हे तनहाई में,
दिल डूबा है गमो की गहराई में,
हमें मत ढूंढना दुनिया की भीड़ में,
हम मिलेंगे में तुम्हे तुम्हारी परछाई में।