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Happy Singh

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तुलसी कौन थी ?
तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड

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तुलसी कौन थी ?
तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।
सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे सती हो गयी।
उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में बिना तुलसी जी के भोग स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !

🙏जय श्री राम🙏
भगवान ने स्वयं कहा है-
          "तेरे हर रूप में मैं हूं,
         तुझमें  भी  मैं  ही  हूं।
     पाप भी मैं,  पुण्य भी मैं
     कर्म  भी मै

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🙏जय श्री राम🙏
भगवान ने स्वयं कहा है-
          "तेरे हर रूप में मैं हूं,
         तुझमें  भी  मैं  ही  हूं।
     पाप भी मैं,  पुण्य भी मैं
     कर्म  भी मैं,  फल भी मैं
    मुश्किल भी मैं,हल भी मैं
 तेरे  जीवन  का  आरंभ  और  अंत
                 मैं ही हूं।"
 "मेरी सबसे सुन्दर रचना है मनुष्य,
    और उससे भी सुन्दर रचना है
           इमानदार मनुष्य।"
       मैं तुम्हारे साथ कल भी था,
आज  भी  हूं  और  कल  भी  रहूंगा।"
           मैं तुम्हारा मित्र हूं,
 जब भी मुझे सच्चे मन से बुलाओगे,
 मैं तुम्हारे पास ही तुम्हें मिलूंगा ।"
"अहम्" से ऊँचा कोई "आसमान" नहीं।
किसी की "बुराई" करने जैसा "आसान" कोई काम नहीं।
"स्वयं" को पहचानने से अधिक कोई "ज्ञान" नहीं।
और "क्षमा" करने से बड़ा कोई "दान" नहीं।
            🙏🙏🙏🙏🙏

पहले मेरे दोस्त ने दिन रात बस चलाई

फिर पैसा कमा कर उसी बस को खरीदा

फिर अपनी बीवी को कलेक्टर बनाने के लिए दिल्ली में महंगी कोचिंग करवाकर यूपीएससी की तैयारी करवाई

उसकी बीवी उसे 3 अटेम्प्ट में

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पहले मेरे दोस्त ने दिन रात बस चलाई

फिर पैसा कमा कर उसी बस को खरीदा

फिर अपनी बीवी को कलेक्टर बनाने के लिए दिल्ली में महंगी कोचिंग करवाकर यूपीएससी की तैयारी करवाई

उसकी बीवी उसे 3 अटेम्प्ट में भी पास नहीं कर पाई

ग़म में दोस्त ने पीना शुरू कर दिया

इससे उसकी बस बिक गई... वह तबाह और बर्बाद हो गया

जब मैं उसके घर गया तो वो कमबख्त अब भी #सेट_मैक्स पर #सूर्यवंशम उसी चाव से देख रहा था...

भाभी मेरे लिए चाय की जगह खीर लाई ... मैं 100 की स्पीड में उस घर से जान बचाकर भाग आया...

🤓

चौधरी घर पहुंचा और चौधरन से बोला : "चौधरन हलवा बना"

चौधरन : "क्यूं जी, ऐसा क्या है आज ?"

चौधरी : "मै शर्त में १००० रू जीत गया"

चौधरन : "कैसे जीत गये जी"

चौधरी : "वो बावली पूंछ रामफल न्य

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चौधरी घर पहुंचा और चौधरन से बोला : "चौधरन हलवा बना"

चौधरन : "क्यूं जी, ऐसा क्या है आज ?"

चौधरी : "मै शर्त में १००० रू जीत गया"

चौधरन : "कैसे जीत गये जी"

चौधरी : "वो बावली पूंछ रामफल न्यू कहवे था कि बकरी की चार टॉग हौवे हैं"

मैने कहा : "बकरी के तीन टांग होवे और मै शर्त जीत गया"

चौधरन बोली : "ठीक ही तो कहवे था रामफल"

 चौधरी : "तू रामफल की लुगाई है या मेरी"

चौधरन : "लुगाई तो तेरी ही हूं, पर बात रामफल की ठीक है"

अब चौधरी और चौधरन की बहस हो गई और
चौधरी ने चौधरन को तब तक पीटा जब तक चौधरन ने तीन टांग की हामी न भर ली.

चौधरन बोली : "चौधरी तू ठीक कहवै है, बकरी के तीन टांग ही होवै"

चौधरी बोला : "वो रामफल भी न्यूं पिटकर ही माना था"  
😝😀😀

💖💖 जब से तेरी निगाहों का नूर देखा है,
        💖💖 खुद को इश्क के हाथों मजबूर देखा है 🌹

💖💖 ना देखा था तुमसा कोई " दिलनशी " पहले,
        💖💖 तेरी आंखों में मैंने वो सुरुर देखा है 🌹

💥💥 इस दिवाली 💥💥

दीप से दीप जले,🌞
दिल से दिल मिले।🌞
इस दिवाली आओ💥
एक ऐसा दीप जलाएं💥
जिससे रौशन हो हर घर💫
घर में रहने वाले लोगों✨
लोगों के अंदर के विचार💥
मिट जाये अंधकार💥
अज्ञान का,🌹
तृष्ण

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💥💥 इस दिवाली 💥💥

दीप से दीप जले,🌞
दिल से दिल मिले।🌞
इस दिवाली आओ💥
एक ऐसा दीप जलाएं💥
जिससे रौशन हो हर घर💫
घर में रहने वाले लोगों✨
लोगों के अंदर के विचार💥
मिट जाये अंधकार💥
अज्ञान का,🌹
तृष्णा का,
द्वेष का,
नकारात्मक सोच का,
प्रकाशित हो हर तरफ💥
ज्ञान का प्रकाश,🌞
प्रेम का प्रकाश,🌹
विश्वास का प्रकाश,🤝
साकारात्मक सोच का प्रकाश
🌞🌞🌞🌞🌞
दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

🌸पंचदिवसीय महामहोत्सव🌸
🏵️💥🏵️💥🏵️💥🏵️💥
सुसम्मानित माता-पिता का साथ हो तो प्रतिदिन धन-त्रयोदशी है।
सुयोग्य जीवनसाथी का स्नेह हो तो प्रतिदिन रूप-चतुर्दशी है।
सुसंस्कारी संतान का सानिध्य

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🌸पंचदिवसीय महामहोत्सव🌸
🏵️💥🏵️💥🏵️💥🏵️💥
सुसम्मानित माता-पिता का साथ हो तो प्रतिदिन धन-त्रयोदशी है।
सुयोग्य जीवनसाथी का स्नेह हो तो प्रतिदिन रूप-चतुर्दशी है।
सुसंस्कारी संतान का सानिध्य हो तो प्रतिदिन दीपावली है।
श्रेष्ठ आजीविका का स्रोत हो तो प्रतिदिन अन्नकूट है।
सुशिक्षित भाई-बहन का सौहार्द हो तो प्रतिदिन भाई-दूज है।

पंचदिवसीय महामहोत्सव की हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनाएं...
🔅🔆🔅🏵️🔅🔆🔅

आपके साथ मेरा मधुर संबंध ही मेरा सबसे अमूल्य धन है ,
यह मधुर संबंध रूपी धन सदा बना रहे और बढता रहे....

दिनों दिन बढ़ता जाए आपका कारोबार, परिवार में बना रहे स्नेह और प्यार
होती रहे सदा आप पर धन की बौछार, ऐसा हो आपका दीपावली का त्यौहार
💥⭐ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🌟💥

जब तू साथ नहीं होती
तड़पता मेरा दिल है
मेरी रग रग में
लहू के साथ साथ
तू भी शामिल है

मौजूद है तू
मेरी रग रग में
मौजूद है तू
मेरी रग रग में

तू मेरा जीवन
तू वजूद मेरा
तेरे नाम से ही
शाम सवेरा

कृष्ण प्रिया राधा का रहस्य, पढ़ें 3 पौराणिक कथा....
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कथा 1 - राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट

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कृष्ण प्रिया राधा का रहस्य, पढ़ें 3 पौराणिक कथा....
***********
कथा 1 - राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो हो गया।
उन्होंने श्रीराधा की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो। सुदामा कांप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूं। इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो। सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी। सुदामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है। इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ।

कथा 2 - नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने द्वादश वर्षो तक तप करके श्रीब्रह्मा से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा। फलस्वरूप द्वापर में वे राजा वृषभानु और रानी कीर्तिदा के रूप में जन्मे। दोनों पति-पत्नी बने। धीरे-धीरे श्रीराधा के अवतरण का समय आ गया। सम्पूर्ण व्रज में कीर्तिदा के गर्भधारण का समाचार सुख स्त्रोत बन कर फैलने लगा, सभी उत्कण्ठा पूर्वक प्रतीक्षा करने लगे। वह मुहूर्त आया। भाद्रपद की शुक्ला अष्टमी चन्द्रवासर मध्यान्ह के समये आकाश मेघाच्छन्न हो गया। सहसा एक ज्योति प्रसूति गृह में फैल गई यह इतनी तीव्र ज्योति थी कि सभी के नेत्र बंद हो गए। एक क्षण पश्चात् गोपियों ने देखा कि शत-सहस्त्र शरतचन्द्रों की कांति के साथ एक नन्हीं बालिका कीर्तिदा मैया के समक्ष लेटी हुई है। उसके चारों ओर दिव्य पुष्पों का ढेर है। उसके अवतरण के साथ नदियों की धारा निर्मल हो गई, दिशाएं प्रसन्न हो उठी, शीतल मन्द पवन अरविन्द से सौरभ का विस्तार करते हुए बहने लगी।

कथा 3 : पद्मपुराण में राधा का अवतरण
पद्मपुराण में भी एक कथा मिलती है कि श्री वृषभानुजी यज्ञ भूमि साफ कर रहे थे, तो उन्हें भूमि कन्या रूप में श्रीराधा प्राप्त हुई। यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार के साथ अन्य देवताओं ने भी अवतार लिया, वैकुण्ठ में स्थित लक्ष्मीजी राधा रूप में अवतरित हुई। कथा कुछ भी हो, कारण कुछ भी हो राधा बिना तो कृष्ण हैं ही नहीं। राधा का उल्टा होता है धारा, धारा का अर्थ है करंट, यानि जीवन शक्ति। भागवत की जीवन शक्ति राधा है। कृष्ण देह है, तो श्रीराधा आत्मा। कृष्ण शब्द है, तो राधा अर्थ। कृष्ण गीत है, तो राधा संगीत। कृष्ण वंशी है, तो राधा स्वर। भगवान् ने अपनी समस्त संचारी शक्ति राधा में समाहित की है। इसलिए कहते हैं-
जहां कृष्ण राधा तहां जहं राधा तहं कृष्ण।

✍️ठाकुर जी ने कहा :- कुछ मांगों।

✍️मैंने उनसे उन्हें ही मांग लिया।

ठाकुर जी ने  कहा :- मुझे नहीं, कुछ और मांगों।

मैंने कहा :- राधा के श्याम दे दो।

ठाकुर जी ने  कहा :- अरे बाबा, मुझे नहीं कुछ और म

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✍️ठाकुर जी ने कहा :- कुछ मांगों।

✍️मैंने उनसे उन्हें ही मांग लिया।

ठाकुर जी ने  कहा :- मुझे नहीं, कुछ और मांगों।

मैंने कहा :- राधा के श्याम दे दो।

ठाकुर जी ने  कहा :- अरे बाबा, मुझे नहीं कुछ और मांगों।

मैंने कहा :- मीरा के गिरिधर दे दो।
ठाकुर जी ने  फिर कहा :- तुम्हें बोला ना कुछ और मांगों।

मैंने कहा :- अर्जुन के पार्थ दे दो।

अब तो ठाकुर जी ने पूछना ही बंद कर दिया। केवल इशारे से बोले :- कुछ और।

अब तो मैं भी शुरू हो गया :-

यशोदा मईया का लल्ला दे दो।
गईया का गोपाल दे दो।
सुदामा का सखा दे दो।
जना बाई के विठ्ठल दे दो।
हरिदास के बिहारी दे दो।
सूरदास के श्रीनाथ दे दो।
तुलसी के राम दे दो।

ठाकुर जी पूछ रहे है :- तेरी सुई मेरे पे ही आके क्यों अटकती हैं ?

मैंने भी कह दिया :- क्या करूँ प्यारे।

✍️जैसे घड़ी की बैटरी जब खत्म होने वाला होता है तो उसकी सुई एक ही जगह खडी-खडी, थोड़ी-थोड़ी हिलती रहती हैं।

बस ऐसा ही कुछ मेरे जीवन का हैं। श्वास रूपी सैल पता नहीं कब खत्म हों जायें।

✍️संसार के चक्कर काट-काट कर सैकड़ों बार तेरे पास आया।लेकिन अपने मद में चूर फिर वापिस लौट गया।

रिश्ता हम भाई बहन का,
कभी मीठा कभी खट्टा,
कभी रूठना कभी मनाना
कभी दोस्ती कभी झगड़ा
कभी रोना और कभी हँसना,
ये रिश्ता हैं प्यार का
सबसे अलग सबसे अनोखा

हैप्पी रक्षा बंधन

रोली का तिलक,
मधु की मिठास अक्षत और रक्षा सूत्र लिए साथ
हृदय से अर्पित करती हूँ
आपको राखी की मंगल कामनाएँ

Na Papa KE Maar Se Na Dosto KI Fatkar Se,
Na Ladki K Inkar Se,
Na Chappalo K Bochar Se,
Aap Jaise Ashiq Sudhrenge
Sirf “RAKHI” k tyohar se

Dear sister, I remember how we used to fight over small issues as children.
But today I realize how much fun it used to be.
On this Rakhi I wish you all the best in life.
Happy Raksha Bandhan.

I really wish that I could be with you on this Raksha Bandhan. I am really missing you. Happy Raksha Bandhan dear sister!

Brothers & Sisters
Fight like cats & dogs
They also teach & learn
And grow together
Looking out for one another
In the best of times
And through the worst
In the end
Sometimes our best friend
Can be a Brother
Or a Sister
Happy Raksha Bandhan

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